भले ही रफ्तार मध्यम हो। मैं धारा की तरह बहता रहूंगा। भले ही रफ्तार मध्यम हो। मैं धारा की तरह बहता रहूंगा।
भारत भू के कण कण से, मुझको बहुत ही प्रीत है। यहाँ प्रकृति के दृश्यों में, बजता रहता भारत भू के कण कण से, मुझको बहुत ही प्रीत है। यहाँ प्रकृति के दृश्यों में, ...
अगर अभी भी न समझे तो मनुष्य का अस्तित्व रह जाएगा हिलकर। अगर अभी भी न समझे तो मनुष्य का अस्तित्व रह जाएगा हिलकर।
सबकी तृष्णा समाप्त करता, आखिर समंदर में मिल जाता है सबकी तृष्णा समाप्त करता, आखिर समंदर में मिल जाता है
बहता एक दरिया है मन के अंदर या है इश्क़ का कोई गहरा समंदर । बहता एक दरिया है मन के अंदर या है इश्क़ का कोई गहरा समंदर ।
सच्चे समंदर का ख़्वाब हूँ, सच्चे समंदर का ख़्वाब हूँ,